मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
Uploaded bysandeep View Answer
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।
निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए -
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।
'आत्मत्राण' शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
अंत में कवि क्या अनुनय करता है?
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
'विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं' − कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?