कट गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
Uploaded bysandeep View Answer
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये।
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गईफिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
इस गीत में 'सर पर कफ़न बाँधना' किस ओर संकेत करता है?
कवि ने इस कविता में किस काफ़िले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
कवि ने 'साथियों' संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि व जीवन भर याद रह जाते हैं?
इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है?
'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया', इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?