उदाहरण − जिवै - जीनाऔरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।
Uploaded bysandeep View Answer
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।
भाव स्पष्ट कीजिए -
बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
'ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई' −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ 'सोना' और 'जागना' किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?
दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?