'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! का प्रतीकार्थ समझाइए।
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"मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।" टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था - "तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?...! "दुलारी से इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक - सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?