इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
Uploaded bysandeep View Answer
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −
तू न मुड़ेगा कभी
(ख) चल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ
एक पत्र-छाँह भी माँग मत' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
'माँग मत', 'कर शपथ', इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
कवि ने 'अग्नि पथ' किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?